Add parallel Print Page Options

आपसी एकता के संरक्षण के लिए बुलाहट

इसलिए यदि मसीह में ज़रा सा भी प्रोत्साहन, प्रेम से उत्पन्न धीरज, आत्मा की सहभागिता तथा करुणा और कृपा है तो एक मन, एक सा प्रेम, एक ही चित्त तथा एक लक्ष्य के लिए ठान कर मेरा आनन्द पूरा कर दो. स्वार्थ और झूठी बड़ाई से कुछ भी न करो, परन्तु विनम्रता के साथ तुम में से हर एक अपनी बजाय दूसरे को श्रेष्ठ समझे. तुम में से हर एक सिर्फ अपनी ही भलाई का नहीं परन्तु दूसरों की भलाई का भी ध्यान रखे.

तुम्हारा स्वभाव वैसा ही हो, जैसा मसीह येशु का था:

जिन्होंने परमेश्वर के स्वरूप में होते हुए भी,
    परमेश्वर से अपनी तुलना पर अपना अधिकार बनाए रखना सही न समझा
परन्तु अपने आप को शून्य कर,
    दास का स्वरूप धारण करते हुए और मनुष्य की समानता में हो गया
    और मनुष्य के शरीर में प्रकट हो कर
अपने आप को दीन करके मृत्यु—क्रूस की मृत्यु—तक,
        आज्ञाकारी रह कर स्वयं को शून्य बनाया.

इसलिए परमेश्वर ने उन्हें सबसे ऊँचे पद पर आसीन किया,
    तथा उनके नाम को महिमा दी कि वह हर एक नाम से ऊँचा हो
10 कि हर एक घुटना येशु नाम की वन्दना में झुक जाए—स्वर्ग में, पृथ्वी में और पृथ्वी के नीचे—और,
11 हर एक जीभ पिता परमेश्वर के प्रताप के लिए स्वीकार करे कि मसीह येशु ही प्रभु हैं.

उद्धार पूरा करने के लिए बुलाहट

12 इसलिए, मेरे प्रियजन, जिस प्रकार तुम हमेशा आज्ञाकारी रहे हो—न केवल मेरी उपस्थिति में परन्तु उससे भी अधिक मेरी अनुपस्थिति में—अपने उद्धार के कार्य को पूरा करने की ओर डरते और काँपते हुए बढ़ते जाओ 13 क्योंकि परमेश्वर ही हैं, जिन्होंने अपनी सुइच्छा के लिए तुममें अभिलाषा और कार्य करने दोनो बातों के लिये प्रभाव डाला है.

14 सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना वाद-विवाद के किया करो 15 कि तुम इस बुरी और भ्रष्ट पीढ़ी में परमेश्वर की निष्कलंक सन्तान के रूप में स्वयं को निष्कपट तथा निष्पाप साबित कर सको कि तुम इस पीढ़ी के बीच जलते हुए दीपों के समान चमको. 16 तुमने जीवन का वचन मजबूती से थामा हुआ है. तब यह मसीह के दिन में मेरे गर्व का कारण होगा, कि न तो मेरी दौड़-धूप व्यर्थ गई और न ही मेरा परिश्रम. 17 फिर भी, यदि तुम्हारे विश्वास की सेवा और बलि पर मैं अर्घ (लहू) के समान उण्डेला भी जा रहा हूँ, तुम सबके साथ यह मेरा आनन्द है. 18 मेरी विनती है कि तुम भी इसी प्रकार आनन्दित रहो तथा मेरे आनन्द में शामिल हो जाओ.

तिमोथियॉस तथा इपाफ़्रोदितॉस का लक्ष्य

19 प्रभु मसीह येशु में मुझे आशा है कि मैं शीघ्र ही तिमोथियॉस को तुम्हारे पास भेजूँगा कि तुम्हारा कुशल-क्षेम जान कर मेरे उत्साह में भी बढ़ोतरी हो. 20 मेरी नज़र में उसके समान ऐसा दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे मेरे जैसे वास्तव में तुम्हारी चिन्ता हो. 21 अन्य सभी मसीह की आशाओं की नहीं परन्तु अपनी ही भलाई करने में लीन हैं. 22 तुम तिमोथियॉस की योग्यता से परिचित हो कि ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार में उसने मेरा साथ इस प्रकार दिया, जिस प्रकार एक पुत्र अपने पिता का साथ देता है. 23 इसलिए मैं आशा करता हूँ कि अपनी स्थिति स्पष्ट होते ही मैं उसे तुम्हारे पास भेज सकूँगा. 24 मुझे प्रभु में पूरा भरोसा है कि मैं स्वयं भी जल्द वहाँ आऊँगा.

25 इस समय मुझे आवश्यक यह लगा कि मैं इपाफ़्रोदितॉस को तुम्हारे पास भेजूँ, जो मेरा भाई, सहकर्मी तथा सहयोद्धा है, जो मेरी ज़रूरतों में सहायता के लिए तुम्हारी ओर से भेजा गया दूत है. 26 वह तुम सबसे मिलने के लिए लालायित है और व्याकुल भी. तुमने उसकी बीमारी के विषय में सुना था. 27 बीमारी! वह तो मरने पर था, किन्तु उस पर परमेश्वर की दया हुई—न केवल उस पर परन्तु मुझ पर भी, कि मुझे और अधिक दुःखी न होना पड़े. 28 इस कारण उसे भेजने के लिए मैं और भी अधिक उत्सुक हूँ कि उसे दोबारा देखकर तुम आनन्दित हो जाओ और तुम्हारे विषय में मेरी चिन्ता भी कम हो जाए. 29 प्रभु में आनन्दपूर्वक उसका स्वागत-सत्कार करना. उसके जैसे व्यक्तियों का आदर किया करो 30 क्योंकि मसीह के काम के लिए उसने अपने प्राण जोखिम में डाल दिए थे कि तुम्हारे द्वारा मेरे प्रति की गई शेष सेवा वह पूरी कर सके.