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चेतउनी अऊ उत्साह

(मत्ती 10:26-27)

12 इही दौरान हजारों मनखेमन के भीड़ लग गीस अऊ ओमन एक-दूसर ऊपर गिरे पड़त रिहिन, त यीसू ह पहिली अपन चेलामन ला कहे के सुरू करिस, “फरीसीमन के खमीर ले सचेत रहव, मतलब कि ओमन के ढोंगीपन ले सचेत रहव। कुछू घलो बात ढंके नइं ए, जऊन ला खोले नइं जाही या कुछू भी बात छिपे नइं ए, जऊन ला बताय नइं जाही। एकरसेति, जऊन बात तुमन अंधियार म कहे हवव, ओह दिन के अंजोर म सुने जाही, अऊ जऊन बात तुमन बंद कोठरी म मनखेमन के कान म चुपेचाप कहे हवय, ओला घर के छानी ऊपर ले खुले-आम बताय जाही।

मोर संगवारीमन, मेंह तुमन ला कहत हंव कि ओमन ले झन डरव, जऊन मन देहें ला घात करथें अऊ ओकर बाद ओमन अऊ कुछू नइं कर सकंय। पर मेंह तुमन ला बतावत हंव कि तुमन ला काकर ले डरना चाही। ओकर ले डरव, जेकर करा तुमन ला मारे के बाद नरक म डारे के सामरथ हवय। हव, मेंह तुमन ला कहत हंव, ओकरेच ले डरव। पांच ठन गौरइया चिरई कतेक म बिकथे? दू पईसा ले जादा म नइं बिकय। तभो ले परमेसर ह ओम ले एको ठन ला नइं भूलय। अऊ त अऊ तुम्‍हर मुड़ के जम्मो चुंदीमन गने गे हवंय। झन डरव; तुमन गौरइया चिरईमन ले जादा कीमत के अव।

मेंह तुमन ला कहत हंव कि जऊन ह मोला मनखेमन के आघू म मान लेथे, ओला मनखे के बेटा घलो परमेसर के स्वरगदूतमन के आघू म मान लिही। पर जऊन ह मोला मनखेमन के आघू म इनकार करथे, ओला मनखे के बेटा घलो परमेसर के स्वरगदूतमन के आघू म इनकार करही। 10 अऊ जऊन ह मनखे के बेटा के बिरोध म कोनो बात कहिथे, त ओला माफ करे जाही, पर जऊन ह पबितर आतमा के बिरोध म निन्दा करथे, ओला माफ करे नइं जावय।

11 जब मनखेमन तुमन ला सभा घर, सासन करइया अऊ अधिकारीमन के आघू म लानथें, त ए बात के चिंता झन करव कि तुमन अपन बचाव कइसने करहू या ओमन के आघू म का कहिहू, 12 काबरकि पबितर आतमा ह ओहीच बेरा तुमन ला ए बात ला सीखा दिही कि तुमन ला का कहना चाही।”

एक मुरुख धनवान मनखे के पटं‍तर

13 भीड़ म ले एक मनखे ह यीसू ला कहिस, “हे गुरू, मोर भाई ले कह कि ओह मोर संग ओ संपत्ति के बंटवारा करय, जऊन ला हमर ददा हमर बर छोंड़ गे हवय।”

14 यीसू ह ओला कहिस, “हे मनखे, कोन ह मोला तुम्‍हर नियायधीस या तुम्‍हर बीच म संपत्ति के बंटवारा करइया ठहराईस?” 15 तब ओह ओमन ला कहिस, “सचेत रहव! अपन-आप ला जम्मो किसम के लालच ले दूर रखव; काबरकि मनखे के जिनगी ह ए बात ले नइं बनय कि ओकर करा कतेक जादा संपत्ति हवय।”

16 तब यीसू ह ओमन ला ए पटं‍तर कहिस, “एक धनवान मनखे के खेत म बहुंत फसल होईस। 17 ओह अपन मन म सोचिस, ‘अब मेंह का करंव? मोर करा मोर फसल ला रखे के जगह नइं ए।’ 18 ओह कहिस, ‘मेंह अइसने करहूं – मेंह अपन कोठीमन ला टोरके ओकर ले बड़े-बड़े कोठी बनाहूं, अऊ उहां मेंह अपन जम्मो अनाज अऊ दूसर माल-मत्ता ला रखहूं।’ 19 तब में अपन-आप ले कहिहूं, ‘तोर करा बहुंत संपत्ति हवय, जऊन ह बहुंते साल तक चलही। अपन जिनगी के चिंता झन कर; खा, पी अऊ खुसी मना।’

20 पर परमेसर ह ओला कहिस, ‘हे मुरुख मनखे! इहीच रतिहा तोर परान ला ले लिये जाही; तब ए जम्मो चीज काकर होही, जऊन ला तेंह अपन बर रखे हवस।’

21 अइसनेच हर एक ओ मनखे के संग होही, जऊन ह अपन बर धन संकेलथे, पर परमेसर के नजर म धनवान नो हय।”

चिंता झन करव

(मत्ती 6:25-34)

22 तब यीसू ह अपन चेलामन ला कहिस, “एकरसेति मेंह तुमन ला कहत हंव, अपन जिनगी के बारे म चिंता झन करव कि तुमन का खाहू, या अपन देहें के बारे म चिंता झन करव कि तुमन का पहिरहू। 23 जिनगी ह खाना ले जादा महत्‍व के अय, अऊ देहें ह ओन्ढा ले जादा महत्‍व रखथे। 24 कऊवां चिरईमन के बारे सोचव: ओमन न कुछू बोवंय अऊ न लुवंय; ओमन करा न भंडार-घर हवय न ही कोठार; तभो ले परमेसर ओमन ला खवाथे। तुमन तो चिरईमन ले बढ़ के अव। 25 तुमन म अइसने कोनो हवय, जऊन ह चिंता करे के दुवारा अपन जिनगी के एक घरी घलो बढ़ा सकथे? 26 जब तुमन ए बहुंत छोटे चीज ला नइं कर सकव, त तुमन आने बड़े चीजमन के बारे म चिंता काबर करथव?

27 सोचव कि जंगली फूलमन कइसने बाढ़थें; ओमन न मिहनत करंय अऊ न ही अपन बर कपड़ा बनावंय। पर मेंह तुमन ला बतावत हंव, अऊ त अऊ सुलेमान सहीं धनी राजा घलो एमन ले काकरो सहीं सुघर कपड़ा नइं पहिरे रिहिस। 28 जब परमेसर ह भुइयां के कांदी ला अइसने कपड़ा पहिराथे, जऊन ह आज इहां हवय अऊ कल आगी म झोंके जाही, त हे अल्‍प बिसवासीमन, का ओह तुमन ला अऊ जादा कपड़ा नइं पहिराही। 29 अऊ एकर धियान म झन रहव कि तुमन का खाहू या का पीहू; एकर चिंता झन करव। 30 काबरकि ए संसार म परमेसर ऊपर बिसवास नइं करइयामन ए जम्मो चीज के खोज म रहिथें, अऊ तुम्‍हर ददा परमेसर ह जानथे कि तुमन ला ए चीजमन के जरूरत हवय। 31 परमेसर के राज के खोज म रहव, त संग म ए चीजमन घलो तुमन ला ओह दिही।

32 हे छोटे झुंड! झन डर, काबरकि तोर ददा परमेसर ह तोला राज देके खुस हवय। 33 अपन संपत्ति ला बेंच अऊ गरीबमन ला दे। अपन बर अइसने बटुवा बनावव, जऊन ह जुन्ना नइं होवय, याने स्‍वरग म अपन धन जमा करव, जऊन ह कभू नइं घटय; जेकर लकठा म चोर नइं आ सकय अऊ जऊन ला कीरा घलो नइं खा सकय। 34 काबरकि जिहां तोर धन हवय, उहां तोर मन घलो लगे रहिही।”

सचेत सेवक

35 “तुमन सेवा करे बर हमेसा तियार रहव अऊ अपन दीया ला बारे रखव; 36 ओ सेवकमन सहीं, जऊन मन अपन मालिक के एक बिहाव भोज ले लहुंटे के बाट जोहत हवंय, ताकि जब ओह आवय अऊ कपाट ला खटखटावय, त ओमन तुरते ओकर बर कपाट ला खोल सकंय। 37 ओ सेवकमन बर एह खुसी के बात होही, जब ओमन के मालिक लहुंटके आथे, त ओमन ला जागत पाथे। मेंह तुमन ला सच कहथंव – ओह खुदे सेवा करे बर सेवक के कपड़ा पहिरही; ओह ओमन ला खाना खवाय बर बईठाही अऊ आके ओमन के सेवा करही। 38 ओ सेवकमन बर एह बने बात होही, यदि ओमन के मालिक रतिहा के दूसर या तीसरा पहर म आवय अऊ ओमन ला सचेत पावय। 39 पर तुमन ए बात ला जान लेवव: यदि घर के मालिक ए जानतिस कि चोर ह कतेक बेरा आही, त ओह अपन घर ला चोरी होय बर नइं छोंड़ देतिस। 40 तुमन घलो हमेसा तियार रहव, काबरकि मनखे के बेटा ह अइसने बेरा म आ जाही, जब तुमन ओकर आय के आसा नइं करत होहू।”

41 पतरस ह पुछिस, “हे परभू, ए पटं‍तर ला का तेंह हमर बर कहत हवस या फेर जम्मो झन बर?”

42 परभू ह जबाब देके कहिस, “ओ बिसवासी अऊ बुद्धिमान सेवक कोन ए, जऊन ला ओकर मालिक ए जिम्मेदारी देथे कि ओह घर ला चलावय अऊ आने सेवकमन ला सही समय म ओमन के भाग के खाना देवय। 43 एह ओ सेवक बर खुसी के बात होही कि जब ओकर मालिक ह आथे, त ओला अइसने करत पाथे। 44 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि मालिक ह ओ सेवक ला अपन जम्मो संपत्ति के जिम्मेदारी दे दिही। 45 पर यदि ओ सेवक ह अपन मन म ए कहय, ‘मोर मालिक ह आय म अब्‍बड़ देरी करत हवय।’ अऊ अइसने सोचके ओह आने सेवक अऊ सेविका मन ला मारन-पीटन लगय, अऊ खाय अऊ पीये लगे अऊ मतवाल हो जावय, 46 तब ओ सेवक के मालिक ह एक अइसने दिन म आ जाही, जब ओह ओकर आय के आसा नइं करत होही अऊ ओकर आय के बेरा ला घलो नइं जानत होही। तब मालिक ह ओला कठोर सजा दिही अऊ ओला अबिसवासीमन के संग म रखही।

47 ओ सेवक जऊन ह अपन मालिक के ईछा ला जानथे, पर तियार नइं रहय या जऊन बात ला ओकर मालिक चाहथे ओला नइं करय, त ओ सेवक ह बहुंत मार खाही। 48 पर जऊन सेवक ह अपन मालिक के ईछा ला नइं जानत हवय, अऊ बिगर जाने ओह गलत काम करथे, त ओह कम मार खाही। जऊन ला बहुंत दिये गे हवय, ओकर ले बहुंत मांगे जाही, अऊ जऊन ला बहुंत सऊंपे गे हवय, ओकर ले बहुंत लिये जाही।”

फूट के कारन

(मत्ती 10:34-36)

49 “मेंह धरती म आगी लगाय बर आय हवंव, अऊ मेंह ए चाहत हंव कि बने होतिस कि एम पहिली ले आगी लगे होतिस। 50 मोला एक बतिसमा म ले होके जाना हवय, अऊ जब तक ओह पूरा नइं हो जावय, मेंह बहुंत बियाकुल हवंव। 51 का तुमन ए सोचत हव कि मेंह धरती म सांति लाने बर आय हवंव। नइं, मेंह तुमन ला कहत हंव कि मेंह फूट डारे बर आय हवंव। 52 अब ले जब एक परिवार म पांच झन होहीं, त ओमन म फूट पड़ही; तीन झन ह दू झन के बिरोध म अऊ दू झन ह तीन झन के बिरोध म रहिहीं। 53 ददा ह अपन बेटा के बिरोध म होही, त बेटा ह अपन ददा के बिरोध म। दाई ह अपन बेटी के बिरोध म होही, त बेटी ह अपन दाई के बिरोध म; अऊ सास ह अपन बहू के बिरोध म होही, त बहू ह अपन सास के बिरोध म।”

समय के पहिचान करई

(मत्ती 16:2-3)

54 यीसू ह मनखेमन के भीड़ ला घलो कहिस, “जब तुमन पछिम दिग म एक बादर उठत देखथव, त तुरते तुमन कहिथव कि बारिस होवइया हवय; अऊ अइसनेच होथे। 55 अऊ जब दक्खिन दिग के हवा चलथे, त तुमन कहिथव कि गरमी बढ़इया हवय, अऊ अइसनेच होथे। 56 हे ढोंगी मनखेमन! धरती अऊ अकास ला तुमन देखके जान लेथव कि एकर का मतलब होथे; तब तुमन ए समय के मतलब ला काबर नइं जानव?

57 तुमन खुदे काबर फैसला नइं कर लेवव कि का सही ए? 58 यदि कोनो मनखे तुम्‍हर बिरोध म नालिस करय अऊ तुमन ला कचहरी म ले जावय, त तुमन भरसक कोसिस करव कि ओकर संग डहार म ही मामला के निपटारा हो जावय; नइं तो ओह तुमन ला नियायधीस करा खींचके ले जाही, अऊ नियायधीस ह तुमन ला पुलिस ला सऊंप दिही, अऊ पुलिस ह तुमन ला जेल म डार दिही। 59 मेंह तुमन ला कहत हंव कि जब तक तुमन एक-एक पईसा नइं भर दूहू, तब तक उहां ले नइं छूट सकव।”