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पहिले चार शिष्यों का बुलाया जाना

एक दिन मसीह येशु गन्नेसरत झील के तट पर खड़े थे. वहाँ एक बड़ी भीड़ उनसे परमेश्वर का वचन सुनने के लिए उन पर गिर पड़ रही थी. मसीह येशु ने तट पर नावेँ देखीं. मछुवारे उन्हें छोड़ कर चले गए थे क्योंकि वे अपने जाल धो रहे थे. मसीह येशु एक नाव पर बैठ गए, जो शिमोन की थी. उन्होंने शिमोन से नाव को तट से कुछ दूर झील में ले जाने के लिए कहा और तब उन्होंने नाव में बैठ कर इकट्ठा भीड़ को शिक्षा देनी प्रारम्भ कर दी.

जब वह अपना विषय समाप्त कर चुके, शिमोन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा, “नाव को गहरे जल में ले चलो और तब जाल डालो.”

शिमोन प्रभु से बोले, “स्वामी! हम रात भर कठिन परिश्रम कर चुके हैं किन्तु हाथ कुछ न लगा, फिर भी, इसलिए कि यह आप कह रहे हैं, मैं जाल डाल देता हूँ.”

यह कहते हुए उन्होंने जाल डाल दिए. जाल में इतनी बड़ी संख्या में मछलियां आ गईं कि जाल फटने लगे इसलिए उन्होंने दूसरी नाव के सहमछुवारों को सहायता के लिए बुलाया. उन्होंने आ कर सहायता की और दोनों नावों में इतनी मछलियां भर गईं कि बोझ के कारण नावें डूबने लगीं.

सच्चाई का अहसास होते ही शिमोन मसीह येशु के चरणों पर गिर कहने लगे, “आप मुझसे दूर ही रहिए प्रभु, मैं एक पापी मनुष्य हूँ.” यह इसलिए कि शिमोन तथा उनके साथी मछुवारे इतनी मछलियों के पकड़े जाने से अचम्भित थे. 10 शिमोन के अन्य साथी, ज़ेबेदियॉस के दोनों पुत्र, याक़ोब और योहन भी यह देख भौचक्के रह गए थे.

तब मसीह येशु ने शिमोन से कहा, “डरो मत! अब से तुम मछलियों को नहीं, मनुष्यों को मेरे पास लाओगे.” 11 इसलिए उन्होंने नावें तट पर लगाईं और सब कुछ त्याग कर मसीह येशु के पीछे चलने लगे.

कोढ़ रोगी की शुद्धि

(मत्ति 8:1-4; मारक 1:40-45)

12 किसी नगर में एक व्यक्ति था, जिसके सारे शरीर में कोढ़ रोग फैल चुका था. मसीह येशु को देख उसने भूमि पर गिर कर उनसे विनती की, “प्रभु! यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं.”

13 मसीह येशु ने हाथ बढ़ा कर उसका स्पर्श किया और कहा, “मैं चाहता हूँ, शुद्ध हो जाओ!” तत्काल ही उसे कोढ़ रोग से चंगाई प्राप्त हो गई.

14 मसीह येशु ने उसे आज्ञा दी, “इसके विषय में किसी से कुछ न कहना परन्तु जा कर याजक को अपने शुद्ध होने का प्रमाण दो तथा मोशेह द्वारा निर्धारित शुद्धि-बलि भेंट करो कि तुम्हारा कोढ़ से छुटकारा उनके सामने गवाही हो जाए.”

15 फिर भी मसीह येशु के विषय में समाचार और भी अधिक फैलता गया. परिणामस्वरूप लोग भारी संख्या में उनके प्रवचन सुनने और बीमारियों से चँगा होने की अभिलाषा से उनके पास आने लगे. 16 मसीह येशु प्रायः भीड़ को छोड़, गुप्त रूप से, एकान्त में जा कर प्रार्थना किया करते थे.

लकवे से पीड़ित को स्वास्थ्यदान

(मत्ति 9:2-8; मारक 2:1-12)

17 एक दिन, जब मसीह येशु शिक्षा दे रहे थे, फ़रीसी तथा व्यवस्थापक, जो गलील तथा यहूदिया प्रदेशों तथा येरूशालेम नगर से वहाँ आए थे, बैठे हुए थे. रोगियों को स्वस्थ करने का परमेश्वर-प्रदत्त सामर्थ्य मसीह येशु में सक्रिय था. 18 कुछ व्यक्ति एक लकवे के रोगी को बिछौने पर लिटा कर वहाँ लाए. ये लोग रोगी को मसीह येशु के सामने लाने का प्रयास कर रहे थे. 19 जब वे भीड़ के कारण उसे भीतर ले जाने में असफल रहे तो वे छत पर चढ़ गए और छत में से उसके बिछौने सहित रोगी को मसीह येशु के ठीक सामने उतार दिया.

20 उनका यह विश्वास देख मसीह येशु ने कहा, “वत्स! तुम्हारे पाप क्षमा किए जा चुके हैं.”

21 फ़रीसी और शास्त्री अपने मन में विचार करने लगे, “कौन है यह व्यक्ति, जो परमेश्वर-निन्दा कर रहा है? भला परमेश्वर के अतिरिक्त अन्य कौन पाप क्षमा कर सकता है?”

22 यह जानते हुए कि उनके मन में क्या विचार उठ रहे थे, मसीह येशु ने उनसे कहा, “आप अपने मन में इस प्रकार तर्क-वितर्क क्यों कर रहे हैं? 23 क्या कहना सरल होगा, ‘तुम्हारे पाप क्षमा कर दिए गए’ या ‘उठो और चलो’? 24 किन्तु इसलिए कि मैं चाहता हूँ कि आपको यह मालूम हो जाए कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है, मैं लकवे के इस रोगी से कह रहा हूँ, ‘मेरी आज्ञा है, खड़े हो जाओ, अपना बिछौना उठाओ और घर जाओ!’” 25 उसी क्षण वह रोगी उन सबके सामने उठ खड़ा हुआ, अपना बिछौना उठाया, जिस पर वह लेटा हुआ था और परमेश्वर का धन्यवाद करते हुए घर चला गया. 26 सभी हैरान रह गए. सभी परमेश्वर का धन्यवाद करने लगे. श्रद्धा से भरकर वे कह रहे थे, “हमने आज अनोखे काम होते देखे हैं.”

लेवी का बुलाया जाना

27 जब वह वहाँ से जा रहे थे, उनकी दृष्टि एक चुँगी लेने वाले पर पड़ी, जिनका नाम लेवी था. वह अपनी चौकी पर बैठे काम कर रहे थे. मसीह येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “आओ! मेरे पीछे हो लो!” 28 लेवी उठे तथा सभी कुछ वहीं छोड़ कर मसीह येशु के पीछे हो लिए.

29 मसीह येशु के सम्मान में लेवी ने अपने घर पर एक बड़े भोज का आयोजन किया. बड़ी संख्या में चुँगी लेने वालों के अतिरिक्त वहाँ अनेक अन्य व्यक्ति भी इकट्ठा थे. 30 यह देख उस सम्प्रदाय के फ़रीसी और शास्त्री मसीह येशु के शिष्यों से कहने लगे, “तुम लोग चुँगी लेने वालों तथा अपराधियों के साथ क्यों खाते-पीते हो?”

31 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “चिकित्सक की ज़रूरत स्वस्थ व्यक्ति को नहीं, रोगी को होती है; 32 मैं पृथ्वी पर धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ कि वे पश्चाताप करें.”

उपवास के प्रश्न का उत्तर

(मत्ति 9:14-17; मारक 2:18-22)

33 फ़रीसियों और शास्त्रियों ने उन्हें याद दिलाते हुए कहा, “योहन के शिष्य अक्सर उपवास और प्रार्थना करते हैं. फ़रीसियों के शिष्य भी यही करते हैं किन्तु आपके शिष्य तो खाते-पीते रहते हैं.”

34 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या वर की उपस्थिति में अतिथियों से उपवास की आशा की जा सकती है? 35 किन्तु वह समय आएगा, जब वर उनके मध्य से हटा लिया जाएगा—वे उस समय उपवास करेंगे.”

36 मसीह येशु ने उनके सामने यह दृष्टान्त प्रस्तुत किया, “पुराने वस्त्र पर नये वस्त्र का जोड़ नहीं लगाया जाता. यदि कोई ऐसा करता है तब कोरा वस्त्र तो नाश होता ही है साथ ही वह जोड़ पुराने वस्त्र पर अशोभनीय भी लगता है. 37 वैसे ही नया दाखरस पुरानी मश्कों में रखा नहीं जाता. यदि कोई ऐसा करे तो नया दाखरस मश्कों को फाड़ कर बह जाएगा और मटकी भी नाश हो जाएगी. 38 नया दाखरस नई मटकियों में ही रखा जाता है. 39 पुराने दाखरस का पान करने के बाद कोई भी नए दाखरस की इच्छा नहीं करता क्योंकि वे कहते हैं, ‘पुराना दाखरस ही उत्तम है.’”