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प्रार्थना पद्धति

इसलिए सबसे पहिली विनती यह है कि सभी के लिए विनती, प्रार्थनाएँ, दूसरों के लिए प्रार्थनाएँ और धन्यवाद प्रस्तुत किए जाएँ, राजाओं तथा अधिकारियों के लिए कि हमारा जीवन सम्मान तथा परमेश्वर की भक्ति में शान्ति और चैन से हो. यह परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता को प्रिय तथा ग्रहणयोग्य है, जिनकी इच्छा है कि सभी मनुष्यों का उद्धार हो तथा वे सच को उसकी भरपूरी में जानें. परमेश्वर एक ही हैं तथा परमेश्वर और मनुष्यों के मध्यस्थ भी एक ही हैं—देहधारी मसीह येशु; जिन्होंने स्वयं को सबके छुटकारे के लिए बलिदान कर दिया—ठीक समय पर प्रस्तुत एक सबूत. इसी उद्धेश्य के लिए मेरा चुनाव प्रचारक और प्रेरित के रूप में अन्यजातियों में विश्वास और सच्चाई की शिक्षा देने के लिए किया गया. मैं सच कह रहा हूँ—झूठ नहीं.

मैं चाहता हूँ कि हर जगह सभाओं में पुरुष, बिना क्रोध तथा विवाद के, परमेश्वर को समर्पित हाथों को ऊपर उठाकर प्रार्थना किया करें.

स्त्रियों के लिए सभा सम्बन्धी निर्देश

इसी प्रकार स्त्रियों का संवारना समय के अनुसार हो—शालीनताभरा तथा विवेकशील—सिर्फ बाल-सजाने तथा स्वर्ण, मोतियों या कीमती वस्त्रों से नहीं 10 परन्तु अच्छे कामों से, जो परमेश्वर-भक्त स्त्रियों के लिए उचित है. 11 स्त्री, मौन रह कर पूरी अधीनता में सिद्धांत-शिक्षा ग्रहण करे. 12 मेरी ओर से स्त्री को पुरुष पर प्रभुता जताने और शिक्षा देने की आज्ञा नहीं है. वह मौन रहे 13 क्योंकि आदम की सृष्टि हव्वा से पहले हुई थी. 14 छल आदम के साथ नहीं परन्तु स्त्री के साथ हुआ, जो आज्ञा न मानने की अपराधी हुई. 15 किन्तु स्त्रियाँ सन्तान उत्पन्न करने के द्वारा उद्धार प्राप्त करेंगी—यदि वे संयम के साथ विश्वास, प्रेम तथा पवित्रता में स्थिर रहती हैं.

स्त्री-पुरुषों के लिये कुछ नियम

सबसे पहले मेरा विशेष रूप से यह निवेदन है कि सबके लिये आवेदन, प्रार्थनाएँ, अनुरोध और सब व्यक्तियों की ओर से धन्यवाद दिए जाएँ। शासकों और सभी अधिकारियों को धन्यवाद दिये जाएँ। ताकि हम चैन के साथ शांतिपूर्वक सम्पूर्ण श्रद्धा और परमेश्वर के प्रति सम्मान से पूर्ण जीवन जी सकें। यह हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला है। यह उत्तम है।

वह सभी व्यक्तियों का उद्धार चाहता है और चाहता है कि वे सत्य को पहचाने क्योंकि परमेश्वर एक ही है और मनुष्य तथा परमेश्वर के बीच में मध्यस्थ भी एक ही है। वह स्वयं एक मनुष्य है, मसीह यीशु। उसने सब लोगों के लिये स्वयं को फिरौती के रूप में दे डाला है। इस प्रकार उसने उचित समय परइसकी साक्षी दी। तथा इसी साक्षी का प्रचार करने के लिये मुझे एक प्रचारक और प्रेरित नियुक्त किया गया। (यह मैं सत्य कह रहा हूँ, झूठ नहीं) मुझे विधर्मियों के लियेविश्वास तथा सत्य के उपदेशक के रूप में भी ठहराया गया।

पुरुष एवं महिला के बारे में विशेष निर्देश

इसलिए मेरी इच्छा है कि हर कहीं सब पुरुष पवित्र हाथों को उपर उठाकर परमेश्वर के प्रति समर्पित हो बिना किसी क्रोध अथवा मन-मुटाव के प्रार्थना करें।

इसी प्रकार स्त्रियों से भी मैं यह चाहता हूँ कि वे सीधी-साधी वेश-भूषा में शालीनता और आत्म-नियन्त्रण के साथ रहें। अपने आप को सजाने सँवारने के लिए वे केशों की वेणियाँ न सजायें तथा सोने, मोतियों और बहुमूल्य वस्त्रों से श्रृंगार न करें 10 बल्कि ऐसी स्त्रियों को जो अपने आप को परमेश्वर की उपासिका मानती है, उनके लिए उचित यह है कि वे स्वयं को उत्तम कार्यों से सजायें।

11 एक स्त्री को चाहिए कि वह शांत भाव से समग्र समर्पण के साथ शिक्षा ग्रहण करे। 12 मैं यह नहीं चाहता कि कोई स्त्री किसी पुरुष को सिखाए पढ़ाये अथवा उस पर शासन करे। बल्कि उसे तो चुपचाप ही रहना चाहिए। 13 क्योंकि आदम को पहले बनाया गया था और तब पीछे हव्वा को। 14 आदम को बहकाया नहीं जा सका था किन्तु स्त्री को बहका लिया गया और वह पाप में पतित हो गयी। 15 किन्तु यदि वे माता के कर्तव्यों को निभाते हुए विश्वास, प्रेम, पवित्रता और परमेश्वर के प्रति समर्पण में बनी रहें तो उद्धार को अवश्य प्राप्त करेंगी।

Instructions on Worship

I urge, then, first of all, that petitions, prayers,(A) intercession and thanksgiving be made for all people— for kings and all those in authority,(B) that we may live peaceful and quiet lives in all godliness(C) and holiness. This is good, and pleases(D) God our Savior,(E) who wants(F) all people(G) to be saved(H) and to come to a knowledge of the truth.(I) For there is one God(J) and one mediator(K) between God and mankind, the man Christ Jesus,(L) who gave himself as a ransom(M) for all people. This has now been witnessed to(N) at the proper time.(O) And for this purpose I was appointed a herald and an apostle—I am telling the truth, I am not lying(P)—and a true and faithful teacher(Q) of the Gentiles.(R)

Therefore I want the men everywhere to pray, lifting up holy hands(S) without anger or disputing. I also want the women to dress modestly, with decency and propriety, adorning themselves, not with elaborate hairstyles or gold or pearls or expensive clothes,(T) 10 but with good deeds,(U) appropriate for women who profess to worship God.

11 A woman[a] should learn in quietness and full submission.(V) 12 I do not permit a woman to teach or to assume authority over a man;[b] she must be quiet.(W) 13 For Adam was formed first, then Eve.(X) 14 And Adam was not the one deceived; it was the woman who was deceived and became a sinner.(Y) 15 But women[c] will be saved through childbearing—if they continue in faith, love(Z) and holiness with propriety.

Footnotes

  1. 1 Timothy 2:11 Or wife; also in verse 12
  2. 1 Timothy 2:12 Or over her husband
  3. 1 Timothy 2:15 Greek she