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अगुवा अऊ जवान मनखे मन

तुमन म जऊन मन अगुवा अंय, ओमन ला मेंह एक संगी अगुवा के रूप म, अऊ मसीह के दुःख उठाय के एक गवाह के रूप म अऊ परगट होवइया महिमा म सामिल होवइया के रूप म बिनती करत हंव: परमेसर के ओ झुंड के, जऊन ह तुम्‍हर अधीन हवय, पास्टर के रूप म सेवा करत ओ झुंड के चरवाहा बनव। एह दबाव ले नइं, पर जइसने परमेसर तुमन ले चाहथे, अपन ईछा ले करव; पईसा के लालच म नइं, पर सेवा-भाव ले करव। जऊन मनखेमन तुमन ला सऊंपे गे हवंय, ओमन ऊपर हुकूम झन चलावव, पर झुंड खातिर एक नमूना बनव। अऊ जब मुखिया चरवाहा परगट होही, त तुमन महिमा के ओ मुकुट पाहू, जऊन ह अपन चमक कभू नइं खोवय।

हे जवानमन, तुमन घलो ओही किसम ले सियानमन के अधीन रहव। एक-दूसर के संग नमरता ले बरताव करव, काबरकि,

“परमेसर ह घमंडी मनखे के बिरोध करथे,
    पर नम्र मनखे ला अनुग्रह देथे।”[a]

एकरसेति, परमेसर के सामरथी हांथ के तरी अपन-आप ला नम्र करव, ताकि ओह तुमन ला उचित समय म ऊपर करय। अपन जम्मो चिंता ला ओकर ऊपर छोंड़ देवव, काबरकि ओह तुम्‍हर खियाल रखथे। तुमन संयमी अऊ सचेत रहव। काबरकि तुम्‍हर बईरी सैतान ह एक गरजत सिंह के सहीं एती-ओती गिंजरथे अऊ ए फिराक म रहिथे कि कोनो ला चीरके खावय। बिसवास म मजबूत होके ओकर मुकाबला करव, काबरकि तुमन जानत हव कि तुम्‍हर संगी बिसवासीमन, जम्मो संसार म एही किसम के दुःख भोगत हवंय।

10 अऊ तुम्‍हर थोरकन समय तक दुःख भोगे के बाद, जम्मो अनुग्रह के परमेसर, जऊन ह तुमन ला मसीह म अपन सदाकाल के महिमा बर बलाय हवय, ओह खुद तुमन ला संभालही, अऊ तुमन ला, बलवान, मजबूत अऊ स्थिर करही। 11 ओकर सामरथ जुग-जुग ले बने रहय। आमीन।

आखिरी जोहार

12 सीलास ला मेंह एक बिसवास के लइक भाई समझथंव अऊ ओकरे मदद ले मेंह तुमन ला ए थोरकन बात लिखत हवंव। मेंह तुमन ला उत्साहित करे चाहथंव अऊ अपन गवाही देवत हंव कि एह परमेसर के सच्‍चा अनुग्रह अय। एम मजबूत बने रहव।

13 ओ कलीसिया, जऊन ह बाबूल सहर म हवय अऊ एक साथ तुम्‍हर संग चुने गे हवय, तुमन ला अपन जोहार कहत हवय अऊ अइसनेच मरकुस घलो जऊन ह मोर बेटा सहीं अय, तुमन ला जोहार कहत हवय। 14 मसीही मया म एक-दूसर के चूमा लेके जोहार कहव।

तुमन जम्मो झन ला, जऊन मन मसीह म हवव, सांति मिलय।

Footnotes

  1. 5:5 नीति 3:34