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32 यदि तुमन ओमन ले मया करथव, जऊन मन तुम्‍हर ले मया करथें, त तुम्‍हर का बड़ई? काबरकि पापीमन घलो अपन ले मया करइयामन ले मया करथें। 33 अऊ यदि तुमन ओमन के भलई करथव, जऊन मन तुम्‍हर भलई करथें, त तुम्‍हर का बड़ई? काबरकि पापीमन घलो अइसने करथें। 34 अऊ यदि तुमन ओमन ला उधार देथव, जऊन मन ले तुमन वापिस पाय के आसा करथव, त तुम्‍हर का बड़ई? काबरकि पापीमन घलो पापीमन ला ए आसा म उधार देथें कि ओमन ला पूरा-पूरी वापिस मिलही। 35 पर अपन बईरीमन ले मया करव, ओमन के भलई करव, अऊ बिगर कुछू चीज वापिस पाय के आसा म ओमन ला उधार देवव। तभे तुमन ला बड़े इनाम मिलही, अऊ तुमन परम परधान परमेसर के बेटा होहू, काबरकि ओह गुन नइं चिनहइया अऊ दुस्‍ट मनखेमन ऊपर दया करथे। 36 दयालु बनव, जइसने तुम्‍हर स्वरगीय ददा ह दयालु ए।”

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