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यीसू ह आंधी ला सांत करथे

(मत्ती 8:23-27; मरकुस 4:35-41)

22 एक दिन यीसू ह अपन चेलामन संग एक ठन डोंगा म चघिस अऊ ओमन ला कहिस, “आवव, झील के ओ पार चली।” तब ओमन डोंगा ला खोल दीन। 23 जब ओमन डोंगा ला खेवत रिहिन, त यीसू ह सुत भुलाईस। तब झील के ऊपर एक आंधी चलिस, अऊ डोंगा ह पानी ले भरे लगिस, अऊ ओमन बड़े जोखिम म पड़ गीन।

24 चेलामन यीसू करा गीन अऊ ओला ए कहिके उठाईन, “मालिक, मालिक, हमन पानी म बुड़इया हवन।”

यीसू ह उठिस, अऊ आंधी अऊ उफनत पानी ला दबकारिस। ओमन थम गीन अऊ जम्मो ह सांत हो गीस। 25 तब यीसू ह अपन चेलामन ले कहिस, “तुम्‍हर बिसवास ह कहां हवय?”

ओमन म डर हमा गे अऊ अचम्भो करके एक-दूसर ला कहिन, “एह कोन ए? एह आंधी अऊ पानी ला घलो हुकूम देथे अऊ ओमन एकर बात ला मानथें।”

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