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रोगी स्त्री की चंगाई और मरी हुई लड़की को जीवनदान

40 जब मसीह येशु झील की दूसरी ओर पहुँचे, वहाँ इंतज़ार करती भीड़ ने उनका स्वागत किया. 41 जाइरूस नामक एक व्यक्ति, जो यहूदी सभागृह का प्रधान था, उनसे भेंट करने आया. उसने मसीह येशु के चरणों पर गिर कर उनसे विनती की कि वह उसके साथ उसके घर जाएँ 42 क्योंकि उसकी एकमात्र बेटी, जो लगभग बारह वर्ष की थी, मरने पर थी. जब मसीह येशु वहाँ जा रहे थे, मार्ग में वह भीड़ में दबे जा रहे थे.

43 वहाँ एक स्त्री थी, जिसे बारह वर्षों से लहू बहने का रोग था. वह किसी भी इलाज से स्वस्थ न हो पाई थी. 44 इस स्त्री ने पीछे-पीछे आ कर मसीह येशु के वस्त्र की किनारी को छुआ और उसी क्षण उसका लहू बहना बंद हो गया.

45 “किसने मुझे छुआ है?” मसीह येशु ने पूछा.

जब सभी इससे इनकार कर रहे थे, पेतरॉस ने उनसे कहा, “स्वामी! यह बढ़ती हुई भीड़ आप पर गिरी जा रही है.”

46 किन्तु मसीह येशु ने उनसे कहा, “किसी ने तो मुझे छुआ है क्योंकि मुझे यह पता चला है कि मुझमें से सामर्थ्य निकली है.”

47 जब उस स्त्री ने यह समझ लिया कि उसका छुपा रहना असम्भव है, भय से काँपती हुई सामने आई और मसीह येशु के चरणों में गिर पड़ी. उसने सभी उपस्थित भीड़ के सामने यह स्वीकार किया कि उसने मसीह येशु को क्यों छुआ था तथा कैसे वह तत्काल रोग से चंगी हो गई. 48 इस पर मसीह येशु ने उससे कहा, “बेटी! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चँगा किया है. परमेश्वर की शान्ति में लौट जाओ.”

जाइरूस की पुत्री को जीवनदान

49 जब मसीह येशु यह कह ही रहे थे, यहूदी सभागृह प्रधान जाइरूस के घर से किसी व्यक्ति ने आ कर सूचना दी, “आपकी पुत्री की मृत्यु हो चुकी है, अब गुरुवर को कष्ट न दीजिए.”

50 यह सुन मसीह येशु ने जाइरूस को सम्बोधित कर कहा, “डरो मत! केवल विश्वास करो और वह स्वस्थ हो जाएगी.”

51 जब वे जाइरूस के घर पर पहुँचे, मसीह येशु ने पेतरॉस, योहन और याक़ोब तथा कन्या के माता-पिता के अतिरिक्त अन्य किसी को अपने साथ भीतर आने की अनुमति नहीं दी. 52 उस समय सभी उस बालिका के लिए रो-रो कर शोक प्रकट कर रहे थे. “बन्द करो यह रोना-चिल्लाना!” मसीह येशु ने आज्ञा दी, “उसकी मृत्यु नहीं हुई है—वह सिर्फ सो रही है.”

53 इस पर वे मसीह येशु पर हँसने लगे क्योंकि वे जानते थे कि बालिका की मृत्यु हो चुकी है. 54 मसीह येशु ने बालिका का हाथ पकड़ कर कहा, “बालिके! उठो!” 55 उसके प्राण उसमें लौट आए और वह तुरन्त खड़ी हो गई. मसीह येशु ने उनसे कहा कि बालिका को खाने के लिए कुछ दिया जाए. 56 उसके माता-पिता चकित रह गए किन्तु मसीह येशु ने उन्हें निर्देश दिया कि जो कुछ हुआ है, उसकी चर्चा किसी से न करें.

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