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मसीह येशु का रूपान्तरण

(मत्ति 17:1-13; मारक 9:2-13)

28 अपनी इस बात के लगभग आठ दिन बाद मसीह येशु पेतरॉस, योहन तथा याक़ोब को साथ ले कर एक ऊँचे पर्वत शिखर पर प्रार्थना करने गए. 29 जब मसीह येशु प्रार्थना कर रहे थे, उनके मुखमण्डल का रूप बदल गया तथा उनके वस्त्र सफ़ेद और उजले हो गए. 30 दो व्यक्ति—मोशेह तथा एलियाह—उनके साथ बातें करते दिखाई दिए. 31 वे भी स्वर्गीय तेज में थे. उनकी बातों का विषय था मसीह येशु का जाना, जो येरूशालेम नगर में शीघ्र ही होने पर था. 32 पेतरॉस तथा उनके साथी अत्यन्त नींद में थे किन्तु जब वे पूरी तरह जाग गए, उन्होंने मसीह येशु को उनके स्वर्गीय तेज में उन दो व्यक्तियों के साथ देखा. 33 जब वे पुरुष मसीह येशु के पास से जाने लगे पेतरॉस मसीह येशु से बोले, “प्रभु! हमारे लिए यहाँ होना कितना अच्छा है! हम यहाँ तीन मण्डप बनाएँ: एक आपके लिए, एक मोशेह के लिए तथा एक एलियाह के लिए.” स्वयं उन्हें अपनी इन कही हुई बातों का मतलब नहीं पता था.

34 जब पेतरॉस यह कह ही रहे थे, एक बादल ने उन सब को ढ़ाँप लिया. बादल से घिर जाने पर वे भयभीत हो गए. 35 बादल में से एक आवाज़ सुनाई दी: “यह मेरा पुत्र है—मेरा चुना हुआ. इसके आदेश का पालन करो.” 36 आवाज़ का कहना समाप्त होने पर उन्होंने देखा कि मसीह येशु अकेले हैं. जो कुछ उन्होंने देखा था, उन्होंने उस समय उसका वर्णन किसी से भी न किया. वे इस विषय में मौन बने रहे.

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