लूकॉ 9:28-36
Saral Hindi Bible
मसीह येशु का रूपान्तरण
(मत्ति 17:1-13; मारक 9:2-13)
28 अपनी इस बात के लगभग आठ दिन बाद मसीह येशु पेतरॉस, योहन तथा याक़ोब को साथ ले कर एक ऊँचे पर्वत शिखर पर प्रार्थना करने गए. 29 जब मसीह येशु प्रार्थना कर रहे थे, उनके मुखमण्डल का रूप बदल गया तथा उनके वस्त्र सफ़ेद और उजले हो गए. 30 दो व्यक्ति—मोशेह तथा एलियाह—उनके साथ बातें करते दिखाई दिए. 31 वे भी स्वर्गीय तेज में थे. उनकी बातों का विषय था मसीह येशु का जाना, जो येरूशालेम नगर में शीघ्र ही होने पर था. 32 पेतरॉस तथा उनके साथी अत्यन्त नींद में थे किन्तु जब वे पूरी तरह जाग गए, उन्होंने मसीह येशु को उनके स्वर्गीय तेज में उन दो व्यक्तियों के साथ देखा. 33 जब वे पुरुष मसीह येशु के पास से जाने लगे पेतरॉस मसीह येशु से बोले, “प्रभु! हमारे लिए यहाँ होना कितना अच्छा है! हम यहाँ तीन मण्डप बनाएँ: एक आपके लिए, एक मोशेह के लिए तथा एक एलियाह के लिए.” स्वयं उन्हें अपनी इन कही हुई बातों का मतलब नहीं पता था.
34 जब पेतरॉस यह कह ही रहे थे, एक बादल ने उन सब को ढ़ाँप लिया. बादल से घिर जाने पर वे भयभीत हो गए. 35 बादल में से एक आवाज़ सुनाई दी: “यह मेरा पुत्र है—मेरा चुना हुआ. इसके आदेश का पालन करो.” 36 आवाज़ का कहना समाप्त होने पर उन्होंने देखा कि मसीह येशु अकेले हैं. जो कुछ उन्होंने देखा था, उन्होंने उस समय उसका वर्णन किसी से भी न किया. वे इस विषय में मौन बने रहे.
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लूका 9:28-36
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
मूसा और एलिय्याह के साथ यीशु
(मत्ती 17:1-8; मरकुस 9:2-8)
28 इन शब्दों के कहने के लगभग आठ दिन बाद वह पतरस, यूहन्ना और याकूब को साथ लेकर प्रार्थना करने के लिए पहाड़ के ऊपर गया। 29 फिर ऐसा हुआ कि प्रार्थना करते हुए उसके मुख का स्वरूप कुछ भिन्न ही हो गया और उसके वस्त्र चमचम करते सफेद हो गये। 30 वहीं उससे बात करते हुए दो पुरुष प्रकट हुए। वे मूसा और एलिय्याह थे। 31 जो अपनी महिमा के साथ प्रकट हुए थे और यीशु की मृत्यु के विषय में बात कर रहे थे जिसे वह यरूशलेम में पुरा करने पर था। 32 किन्तु पतरस और वे जो उसके साथ थे नींद से घिरे थे। सो जब वे जागे तो उन्होंने यीशु की महिमा को देखा और उन्होंने उन दो जनों को भी देखा जो उसके साथ खड़े थे। 33 और फिर हुआ यूँ कि जैसे ही वे उससे विदा ले रहे थे, पतरस ने यीशु से कहा, “स्वामी, अच्छा है कि हम यहाँ हैं, हमें तीन मण्डप बनाने हैं—एक तेरे लिए। एक मूसा के लिये और एक एलिय्याह के लिये।” (वह नहीं जानता था, वह क्या कह रहा था।)
34 वह ये बातें कर ही रहा था कि एक बादल उमड़ा और उसने उन्हें अपनी छाया में समेट लिया। जैसे ही उन पर बादल छाया, वे घबरा गये। 35 तभी बादलों से आकाशवाणी हुई, “यह मेरा पुत्र है, इसे मैंने चुना है, इसकी सुनो।”
36 जब आकाशवाणी हो चुकी तो उन्होंने यीशु को अकेले पाया। वे इसके बारे में चुप रहे। उन्होंने जो कुछ देखा था, उस विषय में उस समय किसी से कुछ नहीं कहा।
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