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मसीह येशु की मृत्यु

(मत्ति 27:45-56; लूकॉ 23:44-49; योहन 19:28-37)

33 छठे घण्टे सारे क्षेत्र पर अन्धकार छा गया, जो नवें घण्टे तक छाया रहा. 34 नवें घण्टे मसीह येशु ने ऊँचे शब्द में पुकारते हुए कहा, “एलोई, एलोई लमा सबख़थानी?” अर्थात् मेरे परमेश्वर! मेरे परमेश्वर! आपने मुझे क्यों छोड़ दिया है!

35 पास खड़े व्यक्तियों ने यह सुन कर कहा, “सुनो! सुनो! वह एलियाह को पुकार रहा है!”

36 यह सुन एक व्यक्ति ने दौड़ कर एक स्पंज को दाख के सिरके में डुबा कर उसे सरकण्डे पर रख यह कहते हुए मसीह येशु को पीने के लिए दिया, “चलो देखें, क्या एलियाह इसे क्रूस से नीचे उतारने आते हैं या नहीं.”

37 ऊँचे शब्द में पुकारने के साथ मसीह येशु ने अपने प्राण त्याग दिए.

38 मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो भागों में बांट दिया गया. 39 क्रूस के सामने खड़े रोमी सैन्य अधिकारी ने मसीह येशु को इस रीति से प्राण त्यागते देख कहा, “इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह व्यक्ति परमेश्वर का पुत्र था.”

40 कुछ महिलाएं दूर खड़ी हुई यह सब देख रही थीं. इनमें मगदालावासी मरियम, कनिष्ठ याक़ोब और योसेस की माता मरियम तथा शालोमे थीं. 41 मसीह येशु के गलील प्रवास के समय ये ही उनके पीछे चलते हुए उनकी सेवा करती रही थीं. अन्य अनेक स्त्रियाँ भी थीं, जो मसीह येशु के साथ येरूशालेम आई हुई थीं.

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