मत्तियाह 21:1-11
Saral Hindi Bible
विजय की खुशी में येरूशालेम-प्रवेश
(मारक 11:1-11; लूकॉ 19:28-44; योहन 12:12-19)
21 जब वे येरूशालेम नगर के पास पहुँचे और ज़ैतून पर्वत पर बैथफ़गे नामक स्थान पर आए, येशु ने दो चेलों को इस आज्ञा के साथ आगे भेजा, 2 “सामने गाँव में जाओ. वहाँ पहुँचते ही तुम्हें एक गधी बन्धी हुई दिखाई देगी. उसके साथ उसका बच्चा भी होगा. उन्हें खोल कर मेरे पास ले आओ. 3 यदि कोई तुमसे इस विषय में प्रश्न करे तो तुम उसे यह उत्तर देना, ‘प्रभु को इनकी ज़रूरत है.’ वह व्यक्ति तुम्हें आज्ञा दे देगा.”
4 यह घटना भविष्यद्वक्ता द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी:
5 सियोन की बेटी को यह सूचना दो:
तुम्हारे पास तुम्हारा राजा आ रहा है;
वह नम्र है और वह गधे पर बैठा हुआ है—
हाँ, गधे के बच्चे पर— बोझ ढ़ोने वाले के बच्चे पर.
6 शिष्यों ने येशु की आज्ञा का पूरी तरह पालन किया 7 और वे गधी और उसके बच्चे को ले आए, उन पर अपने बाहरी कपड़े बिछा दिए और येशु उन कपड़ो पर बैठ गए. 8 भीड़ में से अधिकांश ने मार्ग पर अपने बाहरी कपड़े बिछा दिए. कुछ अन्यों ने पेड़ों की टहनियां काट कर मार्ग पर बिछा दीं. 9 येशु के आगे-आगे जाता हुआ तथा पीछे-पीछे आती हुई भीड़ ये नारे लगा रही थी:[a]
“दाविद की सन्तान की होशान्ना!
“धन्य है, वह जो प्रभु के नाम में आ रहे हैं.
“सबसे ऊँचे स्थान में होशान्ना!”
10 जब येशु ने येरूशालेम नगर में प्रवेश किया, पूरे नगर में हलचल मच गई. उनके आश्चर्य का विषय था: “कौन है यह?”
11 भीड़ उन्हें उत्तर दे रही थी, “यही तो हैं वह भविष्यद्वक्ता—गलील के नाज़रेथ के येशु.”
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- 21:9 इब्री भाषा के इस शब्द का आशय होता है “बचाइए!” जो यहाँ स्तवन की अभिव्यक्ति के रूप में प्रयुक्त किया गया है.
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