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35 येशु को क्रूसित करने के बाद उन्होंने उनके वस्त्रों को आपस में बांट लेने के लिए पासा फेंका 36 और वहीं बैठ कर उनकी चौकसी करने लगे. 37 उन्होंने उनके सिर के ऊपर दोषपत्र लगा दिया था, जिस पर लिखा था: “यह येशु है—यहूदियों का राजा.”

38 उसी समय दो अपराधियों को भी उनके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया था, एक को उनकी दायीं ओर, दूसरे को उनकी बायीं ओर.

39 जो भी उस रास्ते से निकलता था, निन्दा करता हुआ निकलता था. वे सिर हिला-हिला कर कहते जाते थे, 40 “अरे तू! तू तो कहता था कि मन्दिर को ढाह दो और मैं इसे तीन दिन में खड़ा कर दूँगा, अब स्वयं को तो बचा कर दिखा! यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो उतर आ क्रूस से!” 41 इसी प्रकार प्रधान याजक भी शास्त्रियों और पुरनियों के साथ मिल कर उनका उपहास करते हुए कह रहे थे, 42 “दूसरों को तो बचाता फिरा है, स्वयं को नहीं बचा सकता! इस्राएल का राजा है! क्रूस से नीचे आकर दिखाए तो हम इसका विश्वास कर लेंगे. 43 यह परमेश्वर में विश्वास करता है क्योंकि इसने दावा किया था, ‘मैं ही परमेश्वर-पुत्र हूँ,’ तब परमेश्वर इसे अभी छुड़ा दें—यदि वह इससे प्रेम करते हैं.” 44 उनके साथ क्रूस पर चढ़ाये गए राजद्रोही भी इसी प्रकार उनकी उल्लाहना कर रहे थे.

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