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पहाड़ ऊपर यीसू के उपदेस

जब यीसू ह मनखेमन के भीड़ ला देखिस, त ओह पहाड़ ऊपर चघके उहां बईठ गीस। तब ओकर चेलामन ओकर करा आईन, अऊ ओह ओमन ला ए कहिके उपदेस देवन लगिस:

“धइन अंय ओमन, जऊन मन आतमा म दीन अंय,
    काबरकि स्‍वरग के राज ओमन के अय।
धइन अंय ओमन, जऊन मन सोक करथें,
    काबरकि ओमन ला सांति दिये जाही।
धइन अंय ओमन, जऊन मन नरम सुभाव के अंय,
    काबरकि ओमन धरती के उत्तराधिकारी होहीं।
धइन अंय ओमन, जऊन मन धरमीपन बर भूखन अऊ पीयासन हवंय,
    काबरकि परमेसर ह ओमन ला संतोस करही।
धइन अंय ओमन, जऊन मन दयालु अंय,
    काबरकि ओमन के ऊपर दया करे जाही।
धइन अंय ओमन, जऊन मन के हिरदय निरमल हवय,
    काबरकि ओमन परमेसर के दरसन करहीं।
धइन अंय ओमन, जऊन मन मेल-मिलाप कराथें,
    काबरकि ओमन ला परमेसर के बेटा कहे जाही।
10 धइन अंय ओमन, जऊन मन धरमीपन के कारन सताय जाथें,
    काबरकि स्‍वरग के राज ओमन के अय।

11 धइन अव तुमन, जब मनखेमन मोर कारन तुम्‍हर बेजत्ती करथें, तुमन ला सताथें अऊ झूठ-मूठ के, तुम्‍हर बिरोध म किसम-किसम के खराप बात कहिथें। 12 आनंद मनावव अऊ खुस रहव, काबरकि स्‍वरग म तुम्‍हर बर बड़े इनाम रखे हवय। तुम्‍हर ले पहिली अगमजानीमन ला मनखेमन अइसनेच सताय रिहिन।”

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