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यीशु का तूफान को शांत करना

(मरकुस 4:35-41; लूका 8:22-25)

23 तब यीशु एक नाव पर जा बैठा। उसके अनुयायी भी उसके साथ थे। 24 उसी समय झील में इतना भयंकर तूफान उठा कि नाव लहरों से दबी जा रही थी। किन्तु यीशु सो रहा था। 25 तब उसके अनुयायी उसके पास पहुँचे और उसे जगाकर बोले, “प्रभु हमारी रक्षा कर। हम मरने को हैं!”

26 तब यीशु ने उनसे कहा, “अरे अल्प विश्वासियों! तुम इतने डरे हुए क्यों हो?” तब उसने खड़े होकर तूफान और झील को डाँटा और चारों तरफ़ शांति छा गयी।

27 लोग चकित थे। उन्होंने कहा, “यह कैसा व्यक्ति है? आँधी तूफान और सागर तक इसकी बात मानते हैं!”

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