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बपतिस्मा देने वाले योहन का उपदेश

(मत्ति 3:1-12; लूकॉ 3:1-18)

परमेश्वर-पुत्र[a] येशु मसीह के सुसमाचार का आरम्भ:

भविष्यद्वक्ता यशायाह के अभिलेख के अनुसार,

“तुम्हारे पूर्व मैं अपना एक दूत भेज रहा हूँ,
    जो तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा”;
“जंगल में पुकारनेवाले की आवाज़ है,
    ‘प्रभु का मार्ग तैयार करो,
उनके रास्ते सीधे और समतल करो.’”

बपतिस्मा देने वाले योहन जंगल में पाप-क्षमा के लिए पश्चाताप के बपतिस्मा का प्रचार करते हुए आए. यहूदिया प्रदेश के क्षेत्रों से सारी भीड़ तथा येरूशालेम नगर के सभी लोग उनसे भेंट करने जाने लगे. ये सब पाप स्वीकार करते हुए यरदन नदी में योहन से बपतिस्मा ले रहे थे. योहन का परिधान, ऊँट के रोम से निर्मित वस्त्र और उसके ऊपर चमड़े का कमरबन्द था और उनका भोजन था टिड्डियाँ तथा जंगलीमधु. वह प्रचार कर कहते थे, “मेरे बाद एक ऐसा व्यक्ति आएगा, जो मुझसे अधिक शक्तिमान हैं—मैं तो इस योग्य भी नहीं हूँ कि उनके सामने झुक कर उनकी जूतियों के बन्ध खोलूँ. मैं बपतिस्मा जल में देता हूँ; वह तुम्हें पवित्रात्मा में बपतिस्मा देंगे.”

मसीह येशु का बपतिस्मा

(मत्ति 3:13-17; लूकॉ 3:21, 22)

उसी समय मसीह येशु गलील प्रदेश के नाज़रेथ नगर से आए और उन्हें योहन द्वारा यरदन नदी में बपतिस्मा दिया गया. 10 जब मसीह येशु जल से बाहर आ रहे थे, उसी क्षण उन्होंने आकाश को खुलते तथा आत्मा को, जो कबूतर के समान था, अपने ऊपर उतरते हुए देखा 11 और स्वर्ग से निकला एक शब्द भी सुनाई दिया: “तुम मेरे पुत्र हो—मेरे प्रिय—तुमसे में अतिप्रसन्न हूँ.”

12 उसी समय पवित्रात्मा ने उन्हें जंगल में भेज दिया. 13 जंगल में वह चालीस दिन शैतान के द्वारा परखे जाते रहे. वह वहाँ जंगली पशुओं के साथ रहे और स्वर्गदूतों ने उनकी सेवा की.

प्रचार का प्रारम्भ गलील प्रदेश से

(मत्ति 4:12-17; लूकॉ 4:14-15; योहन 4:43-45)

14 योहन के बन्दी बना लिए जाने के बाद येशु, परमेश्वर के सुसमाचार का प्रचार करते हुए गलील प्रदेश आए. 15 उनका सन्देश था, “समय पूरा हो चुका है, परमेश्वर का राज्य पास आ गया है. मन फिराओ तथा सुसमाचार में विश्वास करो.”

पहिले चार शिष्यों का बुलाया जाना

(मत्ति 4:18-22)

16 गलील झील के पास से जाते हुए मसीह येशु ने शिमोन तथा उनके भाई आन्द्रेयास को देखा, जो झील में जाल डाल रहे थे. वे मछुवारे थे. 17 मसीह येशु ने उनसे कहा, “मेरे पीछे आओ. मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुवारे बनाऊँगा.” 18 अपने जाल वहीं छोड़ वे तुरन्त उनके साथ चल दिए.

19 आगे जाने पर उन्होंने ज़ेबेदियॉस के पुत्र याक़ोब तथा उनके भाई योहन को देखा. वे भी नाव में थे और अपने जाल सुधार रहे थे. 20 उन्हें देखते ही मसीह येशु ने उनको बुलाया. वे अपने पिता ज़ेबेदियॉस को मज़दूरों के साथ नाव में ही छोड़ कर उनके साथ चल दिए.

मसीह येशु की अधिकार भरी शिक्षा

(लूकॉ 4:31-37)

21 वे सब कफ़रनहूम नगर आए. शब्बाथ पर मसीह येशु स्थानीय यहूदी सभागृह में जाकर शिक्षा देने लगे. 22 लोग उनकी शिक्षा से आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि वह शास्त्रियों के समान नहीं परन्तु इस प्रकार शिक्षा दे रहे थे कि उन्हें इसका अधिकार है. 23 उसी समय सभागृह में एक व्यक्ति, जो दुष्टात्मा से पीड़ित था, चिल्ला उठा, 24 “नाज़रेथवासी येशु! क्या चाहते हैं आप? क्या आप हमें नाश करने आए हैं? मैं जानता हूँ कि आप कौन हैं: परमेश्वर के पवित्र जन!”

25 “चुप!” उसे फटकारते हुए मसीह येशु ने कहा, “बाहर निकल जा इसमें से!” 26 उस व्यक्ति को मरोड़ते हुए वह प्रेत ऊँचे शब्द में चिल्लाता हुआ उसमें से बाहर निकल गया.

27 सभी हैरान रह गए. वे आपस में विचार करने लगे, “यह सब क्या हो रहा है? यह अधिकारपूर्वक शिक्षा देते हैं और अशुद्ध आत्मा तक को आज्ञा देते है और वे उनका पालन भी करती हैं!” 28 तेज़ी से उनकी ख्याति गलील प्रदेश के आस-पास सब जगह फैल गई.

पेतरॉस की सास को स्वास्थ्यदान

(मत्ति 8:14-17; लूकॉ 4:38-41)

29 यहूदी सभागृह से निकल कर वे सीधे याक़ोब और योहन के साथ शिमोन तथा आन्द्रेयास के घर पर गए. 30 वहाँ शिमोन की सास बुखार में पड़ी हुई थीं. उन्होंने बिना देर किए मसीह येशु को इसके विषय में बताया. 31 मसीह येशु उनके पास आए, उनका हाथ पकड़ उन्हें उठाया और उनका बुखार जाता रहा तथा वह उनकी सेवा टहल में जुट गईं.

32 सन्ध्या समय सूर्यास्त के बाद लोग अस्वस्थ तथा जिनमें दुष्टात्माऐं थी उन लोगों को येशु के पास लाने लगे. 33 सारा नगर ही द्वार पर इकट्ठा हो गया 34 मसीह येशु ने विभिन्न रोगों से पीड़ित अनेकों को स्वस्थ किया और अनेक दुष्टात्माओं को भी निकाला. वह दुष्टात्माओं को बोलने नहीं देते थे क्योंकि वे उन्हें पहचानती थी.

समग्र गलील प्रदेश में मसीह येशु द्वारा प्रचार तथा स्वास्थ्यदान सेवा

(मत्ति 4:23-25; लूकॉ 4:42-44)

35 भोर होने पर, जब अन्धकार ही था, मसीह येशु उठे और एक सुनसान जगह को गए. वहाँ वह प्रार्थना करने लगे. 36 शिमोन तथा उनके अन्य साथी उन्हें खोज रहे थे. 37 उन्हें पाकर वे कहने लगे, “सभी आपको खोज रहे हैं.”

38 किन्तु मसीह येशु ने उनसे कहा, “चलो, कहीं और चलें—यहाँ पास के नगरों में—जिससे कि मैं वहाँ भी प्रचार कर सकूँ क्योंकि मेरे यहाँ आने का उद्धेश्य यही है.” 39 वह सारे गलील प्रदेश में घूमते हुए यहूदी सभागृहों में जा-जा कर प्रचार करते रहे तथा लोगों में से दुष्टात्माओं को निकालते गए.

कोढ़ रोगी की शुद्धि

(मत्ति 8:1-4; लूकॉ 5:12-16)

40 एक कोढ़ रोगी उनके पास आया. उसने मसीह येशु के सामने घुटने टेक उनसे विनती की, “आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं.”

41 तरस खाकर मसीह येशु ने हाथ बढ़ाकर उसे स्पर्श किया और कहा, “मैं चाहता हूँ. तुम शुद्ध हो जाओ!” 42 उसी समय उसका कोढ़ रोग जाता रहा और वह शुद्ध हो गया.

43 मसीह येशु ने उसे उसी समय इस चेतावनी के साथ विदा किया, 44 “सुनो! इस विषय में किसी से कुछ न कहना. हाँ, जाकर स्वयं को याजक के सामने प्रस्तुत करो तथा अपनी शुद्धि के प्रमाण के लिए मोशेह द्वारा निर्धारित विधि के अनुसार शुद्धि सम्बन्धी भेंट चढ़ाओ.” 45 किन्तु उस व्यक्ति ने जा कर खुलेआम इसकी घोषणा की तथा यह समाचार इतना फैला दिया कि मसीह येशु इसके बाद खुल्लम खुल्ला किसी नगर में न जा सके और उन्हें नगर के बाहर सुनसान स्थानों में रहना पड़ा. फिर भी सब स्थानों से लोग उनके पास आते रहे.

Footnotes

  1. 1:1 कुछ हस्तलेखों में परमेश्वर-पुत्र शब्द नहीं पाए जाते.

यीशु के आने की तैयारी

(मत्ती 3:1-12; लूका 3:1-9, 15-17; यूहन्ना 1:19-28)

यह परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह के शुभ संदेश का प्रारम्भ है।[a] भविष्यवक्ता यशायाह की पुस्तक में लिखा है कि:

“सुन! मैं अपने दूत को तुझसे पहले भेज रहा हूँ।
    वह तेरे लिये मार्ग तैयार करेगा।”(A)

“जंगल में किसी पुकारने वाले का शब्द सुनाई दे रहा है:
‘प्रभु के लिये मार्ग तैयार करो।
    और उसके लिये राहें सीधी बनाओ।’”(B)

यूहन्ना लोगों को जंगल में बपतिस्मा देते आया था। उसने लोगों से पापों की क्षमा के लिए मन फिराव का बपतिस्मा लेने को कहा। फिर समूचे यहूदिया देश के और यरूशलेम के लोग उसके पास गये और उस ने यर्दन नदी में उन्हें बपतिस्मा दिया। क्योंकि उन्होंने अपने पाप मान लिये थे।

यूहन्ना ऊँट के बालों के बने वस्त्र पहनता था और कमर पर चमड़े की पेटी बाँधे रहता था। वह टिड्डियाँ और जंगली शहद खाया करता था।

वह इस बात का प्रचार करता था: “मेरे बाद मुझसे अधिक शक्तिशाली एक व्यक्ति आ रहा है। मैं इस योग्य भी नहीं हूँ कि झुक कर उसके जूतों के बन्ध तक खोल सकूँ। मैं तुम्हें जल से बपतिस्मा देता हूँ किन्तु वह पवित्र आत्मा से तुम्हें बपतिस्मा देगा।”

यीशु का बपतिस्मा और उसकी परीक्षा

(मत्ती 3:13-17; लूका 3:21-22)

उन दिनों ऐसा हुआ कि यीशु नासरत से गलील आया और यर्दन नदी में उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया। 10 जैसे ही वह जल से बाहर आया उसने आकाश को खुले हुए देखा। और देखा कि एक कबूतर के रूप में आत्मा उस पर उतर रहा है। 11 फिर आकाशवाणी हुई: “तू मेरा पुत्र है, जिसे मैं प्यार करता हूँ। मैं तुझ से बहुत प्रसन्न हूँ।”

यीशु की परीक्षा

(मत्ती 4:1-11; लूका 4:1-13)

12 फिर आत्मा ने उसे तत्काल बियाबान जंगल में भेज दिया। 13 जहाँ चालीस दिन तक शैतान उसकी परीक्षा लेता रहा। वह जंगली जानवरों के साथ रहा और स्वर्गदूत ने उसकी सेवा करते रहे।

यीशु के कार्य का आरम्भ

(मत्ती 4:12-17; लूका 4:14-15)

14 यूहन्ना को बंदीगृह में डाले जाने के बाद यीशु गलील आया। और परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने लगा। 15 उसने कहा, “समय पूरा हो चुका है। परमेश्वर का राज्य आ रहा है। मन फिराओ और सुसमाचार में विश्वास करो।”

यीशु द्वारा कुछ शिष्यों का चयन

(मत्ती 4:18-22; लूका 5:1-11)

16 जब यीशु गलील झील के किनारे से हो कर जा रहा था उसने शमौन और शमौन के भाई अन्द्रियास को देखा। क्योंकि वे मछुवारे थे इसलिए झील में जाल डाल रहे थे। 17 यीशु ने उनसे कहा, “मेरे पीछे आओ, और मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुवारे बनाऊँगा।” 18 उन्होंने तुरंत अपने जाल छोड़ दिये और उसके पीछे चल पड़े।

19 फिर थोड़ा आगे बड़ कर यीशु ने जब्दी के बेटे याकूब और उसके भाई यूहन्ना को देखा। वे अपनी नाव में जालों की मरम्मत कर रहे थे। 20 उसने उन्हें तुरंत बुलाया। सो वे अपने पिता जब्दी को मज़दूरों के साथ नाव में छोड़ कर उसके पीछे चल पड़े।

दुष्टात्मा के चंगुल से छुटकारा

(लूका 4:31-37)

21 और कफरनहूम पहुँचे। फिर अगले सब्त के दिन यीशु आराधनालय में गया और लोगों को उपदेश देने लगा। 22 उसके उपदेशों पर लोग चकित हुए। क्योंकि वह उन्हें किसी शास्त्र ज्ञाता की तरह नहीं बल्कि एक अधिकारी की तरह उपदेश दे रहा था। 23 उनकी यहूदी आराधनालय में संयोग से एक ऐसा व्यक्ति भी था जिसमें कोई दुष्टात्मा समायी थी। वह चिल्ला कर बोला, 24 “नासरत के यीशु! तुझे हम से क्या चाहिये? क्या तू हमारा नाश करने आया है? मैं जानता हूँ तू कौन है, तू परमेश्वर का पवित्र जन है।”

25 इस पर यीशु ने झिड़कते हुए उससे कहा, “चुप रह! और इसमें से बाहर निकल!” 26 दुष्टात्मा ने उस व्यक्ति को झिंझोड़ा और वह ज़ोर से चिल्लाती हुई उसमें से निकल गयी।

27 हर व्यक्ति चकित हो उठा। इतना चकित, कि सब आपस में एक दूसरे से पूछने लगे, “यह क्या है? अधिकार के साथ दिया गया एक नया उपदेश! यह दुष्टात्माओं को भी आज्ञा देता है और वे उसे मानती हैं।” 28 इस तरह गलील और उसके आसपास हर कहीं यीशु का नाम जल्दी ही फैल गया।

यीशु द्वारा अनेक व्यक्तियों का चंगा किया जाना

(मत्ती 8:14-17; लूका 4:38-41)

29 फिर वे आराधनालय से निकल कर याकूब और यूहन्ना के साथ सीधे शमौन और अन्द्रियास के घर पहुँचे। 30 शमौन की सास ज्वर से पीड़ित थी इसलिए उन्होंने यीशु को तत्काल उसके बारे में बताया। 31 यीशु उसके पास गया और हाथ पकड़ कर उसे उठाया। तुरंत उसका ज्वर उतर गया और वह उनकी सेवा करने लगी।

32 सूरज डूबने के बाद जब शाम हुई तो वहाँ के लोग सभी रोगियों और दुष्टात्माओं से पीड़ित लोगों को उसके पास लाये। 33 सारा नगर उसके द्वार पर उमड़ पड़ा। 34 उसने तरह तरह के रोगों से पीड़ित बहुत से लोगों को चंगा किया और बहुत से लोगों को दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया। क्योंकि वे उसे जानती थीं इसलिये उसने उन्हें बोलने नहीं दिया।

लोगों को सुसमाचार सुनाने की तैयारी

(लूका 4:42-44)

35 अँधेरा रहते, सुबह सवेरे वह घर छोड़ कर किसी एकांत स्थान पर चला गया जहाँ उसने प्रार्थना की। 36 किन्तु शमौन और उसके साथी उसे ढूँढने निकले 37 और उसे पा कर बोले, “हर व्यक्ति तेरी खोज में है।”

38 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “हमें दूसरे नगरों में जाना ही चाहिये ताकि वहाँ भी उपदेश दिया जा सके क्योंकि मैं इसी के लिए आया हूँ।” 39 इस तरह वह गलील में सब कहीं उनकी आराधनालयों में उपदेश देता और दुष्टात्माओं को निकालता गया।

कोढ़ से छुटकारा

(मत्ती 8:1-4; लूका 5:12-16)

40 फिर एक कोढ़ी उसके पास आया। उसने उसके सामने झुक कर उससे विनती की और कहा, “यदि तू चाहे, तो तू मुझे ठीक कर सकता है।”

41 उसे उस पर गुस्सा आया और उसने अपना हाथ फैला कर उसे छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुम अच्छे हो जाओ!”[b] 42 और उसे तत्काल कोढ़ से छुटकारा मिल गया। वह पूरी तरह शुद्ध हो गया।

43 यीशु ने उसे कड़ी चेतावनी दी और तुरन्त भेज दिया। 44 यीशु ने उससे कहा, “देख इसके बारे में तू किसी को कुछ नहीं बताना। किन्तु याजक के पास जा और उसे अपने आप को दिखा। और मूसा के नियम के अनुसार अपने ठीक होने की भेंट अर्पित कर ताकि हर किसी को तेरे ठीक होने की साक्षी मिले।” 45 परन्तु वह बाहर जाकर खुले तौर पर इस बारे में लोगों से बातचीत करके इसका प्रचार करने लगा। इससे यीशु फिर कभी नगर में खुले तौर पर नहीं जा सका। वह एकांत स्थानों में रहने लगा किन्तु लोग हर कहीं से उसके पास आते रहे।

Footnotes

  1. 1:1 परमेश्वर के पुत्र कुछ यूनानी प्रतियों में यह शब्द नहीं है।
  2. 1:41 उसे … गुस्सा आया अधिकतर यूनानी प्रतियों में “उसे उस पर दया आयी” है। लेकिन यह कहना बड़ा कठिन है कि कुछ यूनानी एवं कुछ लातेनी प्रतियों में “उसे उस पर गुस्सा आया” यह क्यों है? बहुत से विद्वान अब इसे ही मूलपाठ मानते हैं।